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लेखनी प्रतियोगिता -07-Nov-2023 ग़ज़ल

शे'र

आख़री सांस तक बहुत प्यार रहा उससे।

वो नहीं आयेगा फ़िर भी इंतज़ार रहा उससे।।


तुम्हारी याद ने मुझको कहां से कहां लाकर छोड़ा।

धड़कनों ने छेड़ी बग़ाबत रूह को भी क़ैदी बनाकर छोड़।।


जानी पहचानी सी शक्ल है पर अपना सा नहीं लगता।

रोज मिलता है मग़र गले लगाने का मन नहीं करता।।

मधु गुप्ता "अपराजिता"

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3 Comments

Punam verma

08-Nov-2023 06:24 AM

Very nice👍

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Reena yadav

07-Nov-2023 10:08 PM

👍👍

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Gunjan Kamal

07-Nov-2023 09:21 PM

बहुत खूब

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